भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता

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पिछले कुछ सालों में इंडियन मोबाईल मार्केट में शानदार बूम देखने को मिला है। कई विदेशी कंपनियां भारत में अपना भविष्य तलाश रही हैं और देश में अपने प्रोडक्ट बेच रही है। बढ़ते इंटरनेट बाजार ने भी स्मार्टफोन की मार्केट को बढ़ाया है। आज भारतीय स्मार्टफोन्स का इतना यूज़ कर रहे हैं कि भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाईल उत्पादक बन गया है। भारत में मोबाइल फोन का सालाना उत्पादन 2017 में 3 मिलियन यूनिट से बढ़कर 11 मिलियन यूनिट तक हो गया। चीन के बाद भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल फोन का प्रोडक्शन करने वाला देश बन चुका है। भारतीय सेलुलर एसोसिएशन के साथ दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा और आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी है। ICA के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज मोहिन्द्रो ने एक पत्र में कहा, "हमें इस बात को बताने में लेकर खुशी हो रही है कि भारत सरकार, ICA और FTTF के बेहतरीन प्रयासों के साथ, भारत अब मोबाइल हैंडसेट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।" ICA ने बाजार अनुसंधान फर्म IHS, चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो और वियतनाम जनरल सांख्यिकी कार्यालय से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर ये पुष्टि की। ICA द्वारा शेयर आंकड़ों के अनुसार, भारत में मोबाइल फोन का सालाना उत्पादन 2017 में 3 मिलियन यूनिट से बढ़कर 11 मिलियन यूनिट तक हो गया। भारत 2017 में वियतनाम की जगह लेकर मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया। मोबाइल फोन उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ, देश में साल 2017-18 में उपकरणों के आयात में भी कमी आई। इसी के साथ भारत ने वियतनाम को पीछे कर इस मामले में दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया.

इलेक्ट्रानिक्स और आईटी मंत्रालय के अधीन एक फास्ट ट्रैक टास्क फोर्स ने 2019 तक भारत में लगभग 500 मिलियन मोबाइल फोन के उत्पादन करने लक्ष्य रखा है, जिसमें करीब 46 अरब डॉलर की लागत की संभावना है। FTTF ने मोबाइल फोन के उत्पादन में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप 8 अरब डॉलर का विनिर्माण क्षेत्र बनाने और 2019 तक 1.5 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा है। FTTF ने अगले साल के अंत तक 1.5 मिलियन अमरीकी डॉलर के अनुमानित मूल्य के 120 मिलियन मोबाइल फोन इकाइयों को निर्यात करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। आईसीए के नेशनल प्रेसिडेंट पंकज मोहिंद्रू ने 28 मार्च को दोनों केंद्रीय मंत्रियों को एक पत्र भेजा। उन्होंने पत्र में कहा कि भारत सरकार, आईसीए और एफटीटीएफ की कोशिशों की बदौलत भारत मोबाइल फोन उत्पादन की संख्या के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनकर उभरा है। आईसीए ने अपने पत्र में मार्केट रिसर्च कंपनी आईएचएस, चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स और वियतनाम जेनरल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस के आंकड़ों का हवाला दिया है। आईसीए द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में मोबाइल फोन का सालाना उत्पादन 2014 में 30 लाख यूनिट था, जो 2017 में बढ़कर 1.1 करोड़ यूनिट तक पहुंच गया। भारत 2017 में वियतनाम को पीछे छोड़ दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता के स्थान पर काबिज हुआ है।

उत्पादन बढ़ा तो घटा आयात मोबाइल फोन का उत्पादन बढ़ने से 2017-18 में देश में इसका आयात भी घटकर आधे से कम रह गया। मोहिंद्रू ने कहा कि घरेलू बाजार में पूर्णत: निर्मित यूनिट का अनुपात 2014-15 के 78 फीसदी से घटकर 2017-18 में 18 फीसदी रह गया। इलेक्ट्रॉनिकी और आईटी मंत्रालय के तहत फास्ट ट्रैक टास्क फोर्स ने 2019 तक देश में करीब 50 करोड़ मोबाइल फोन उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसकी कीमत करीब 46 अरब डॉलर होने का अनुमान है। 8 अरब डॉलर के कंपोनेंट उत्पादन का लक्ष्य उद्योग और सरकार के प्रतिनिधित्व वाली संस्था एफटीटीएफ ने मोबाइल फोन उत्पादन में हो रहे विकास की बदौलत आठ अरब डॉलर के कंपोनेंट उत्पादन का स्तर हासिल करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही उसने 2019 तक 15 लाख प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार पैदा होने का भी अनुमान जताया है। संस्था ने अगले साल के आखिर तक 12 करोड़ मोबाइल फोन यूनिट के निर्यात का भी लक्ष्य रखा है, जिसका मूल्य 15 लाख डॉलर का हो सकता है।

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